शहर विकास योजना (सी.डी.पी.) किसी शहर के भावी विकास के लिए एक परिदृश्य तथा एक विजन दोनों ही हैं। ये शहर के विकास की मौजूदा अवस्था को, अर्थात अभी हम कहां पर हैं? को प्रस्तुत करती है। ये परिवर्तनों के निर्देशों अर्थात हम शहर को कहां ले जाना चाहते हैं, को निर्धारित करता है। यह उन प्रणोदी की पहचान करता है कि हमारी वे कौन सी जरूरतें हैं जिनका पता हमें प्राथमिकता के आधार पर लगाना है? ये हमें वैकल्पिक रास्ते नीतियों उन दखल अन्दाजियों को भी सुझाता है जिनसे कि परिवर्तन लाया जा सकता है कि इस विजन को प्राप्त करने के लिए हमें कौनसी दखल अंदाजी करनी है? जिसके भीतर रह कर हम पहचान की जाने वाली जरूरतों तथा उनके कार्यान्वयन को प्रोजेक्ट करते हैं। ये हमें निवेश निर्णयों का मूल्यांकन करने के लिए एवं तार्किक तथा सुसंगत फ्रेमवर्क संस्थापित करती है।
ये शहर विकास योजना आर्थकि रूप से उत्पादक, कुशल, उचित तथा अनुकूल शहरों के सृजन हेतु जवाहर लाल नेहरू शहरी नवीकरण मिशन (JNnURM) के लक्ष्यों पर आश्रित हैं। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक उपाय के रूप में ये सीडीपी आर्थिक तथा सामाजिक अवसंरचनाओं के विकास तथा उन नीतियों पर प्रकाश डालती है जो खासतौर से शहरी गरीबों को प्रभावित करने वाले मुद्दों से संबंधित हैं, नगर निगम सरकारों को मजबूत करते हैं, और उनके वित्तीय लेखाकरण तथा बजटीय सिस्टमों व प्रक्रियाओं को बल देते हैं और जवाब देही तथा पारदर्शिता बरतने के लिए नियमों के सृजन करते हैं तथा कानूनी व दूसरी उन अड़चनों के विलापन जो भूमि तथा आवासीय बाजारों का दमन करते हैं। यह उन शहरी क्षेत्र के सुधारों को अपनाने के लिए जो कि सीधे ही शहर आधारित अवसंरचनाओं में निवेश करने में मदद करते हैं, शहरों को एक आधार प्रदान करती है।
टिप्पणी : किसी भी शहर के लिए यह अनिवार्य है कि वह उसके भावी विकास के लिए सिलसिलेवार सोचे और यह निर्धारित करे कि उसका भावी स्वरूप कैसा होना चाहिए।
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